तत्वों को परिसंचरित करना

ये ध्यान अभ्यास बहुत उन्नत हैं। ये निर्देश ज़ाहिर होने चाहिए अनावश्यक विवरण के बिना।

इन ध्यान अभ्यासों को कीमिया (ऐल्केमी)/हर्मेटिकवाद (हर्मेटिसिज़म) के रूप में जाना जाता है। यह चक्रों को साफ करते हैं और सीलों को जलाते हैं, ज्ञान और शक्ति को अवरुद्ध करने वाले मैल से छुटकारा दिलाते हैं।


चरण एक - निस्तापन (कैल्सिनेशन):

आग को परिसंचरित करने के लिए:

1. अपने पूरे शरीर में अग्नि तत्व का इनवोकेशन (आह्वान) करें

2. तत्व को अपने मूलाधार चक्र में संकुचित करें

3. आग के गोले को अपने हर चक्र से गुजरते हुए संचारित करें जैसा की परिसंचरण ध्यान में करते हैं

4. आपको यह महसूस करना चाहिए कि बेहद गर्म सफेद-गर्म गेंद प्रत्येक चक्र से गुज़र रही है। यदि आप इसे तुरंत महसूस नहीं करते हैं, तो इसकी कल्पना करें। यह समय के साथ आ जाएगा।


चरण दो - आसवन (डिस्टिलेशन):

आग को परिसंचरित करने के बाद जल के तत्व को परिसंचरित करने के:

1. पानी को इनवोक (आह्वान) करें

2. इसे अपने दूसरे (स्वाधिष्ठान) चक्र में संकुचित करें और ऊपर बताए अनुसार करें।


यह जलती हुई भाप का उत्पादन करेगा जो आपके चक्रों को गहराई से साफ करेगा, मैल को जलाएगा और घोलेगा (भंग करेगा)।


चरण तीन - समाधान:

चक्रों को और अधिक साफ करने के लिए और तत्वों को अलग करने के लिए। पृथक्करण निष्क्रिय है और प्राकृतिक रूप से होगा और इसे "पृथक्करण (सेप्रेशन)" के रूप में जाना जाता है।


1. सारतत्व/तेजावह (ईथर) तत्व को इनवोक (आह्वान) करें

2. इसे अपनी तीसरी आँख या छठे चक्र में संकुचित करें और इसे परिसंचरित करें।

चरण चार - संयोजन (कन्जंक्शन) -

1. पृथ्वी तत्व को इनवोक (आह्वान) करें और उसे अग्नि तत्व को इनवोक करके गर्म करें।

2. ऊर्जा को अपने मूलाधार चक्र में संकुचित करें और इसे परिसंचरित करें।


चरण पाँच - पुट्रीकरण (सड़न, प्यूट्रिफ़ैक्शन) -

वायु तत्व इनवोक करके नम गर्मी लगाना ।

1.वायु तत्व को इनवोक करें

2. इसे अपने गले के चक्र में संकुचित करें और इसे परिसंचरित करें।


चरण छह - घनिकरण (कौन्जिलेशन) -

1.पृथ्वी तत्व को इनवोक करें

2. इसे अपने मूलाधार चक्र में संकुचित करें और इसे परिसंचरित करें।


चरण सात - सिबेशन -

पोषण करना/पौष्टिक

1. ऊपर के चरण एक और दो को करें और प्रत्येक चक्र से उत्पन्न तरल (द्रव) को स्वाधिष्ठान (दूसरे) चक्र में इकट्ठा और संकुचित करें और इसे परिसंचरित करें।


चरण आठ - उर्ध्वपातन (सब्लिमेशन) -

अशुद्धियों को और भी जलाने के लिए अग्नि तत्व के साथ फिर से गरम करना।

1.अग्नि तत्व को इनवोक करें

2. इसे अपने मूलाधार चक्र में संकुचित करें

3. इसे  परिसंचरित करें और इसके साथ अपने प्रत्येक चक्र को वाष्पीकृत करें।

4. इसके तुरंत बाद पृथ्वी तत्व को इनवोक करें

5. इसे अपने मूलाधार चक्र में संकुचित करें और इसे परिसंचरित करें, भाप को ठंडा करते हुए और ठोस रूप में संघनित करते हुए ।


चरण नौ - किण्वन -

ये सुनेहरी ऊर्जा की साँस अंदर लेने से किया जाता है । इसे सीधे सूर्य से करने से आप सबसे अ‍च्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

1. सुनेहरी ऊर्जा को साँस द्वारा अंदर लें 

2. इसे अपने सौर जाल चक्र चक्र में संकुचित करें 

3. इसे परिसंचरित करें


चरण दस - पदोन्नति (उन्नयन, एग्ज़ौल्टेशन) -

यह पहले चरण की तरह अग्नि को इनवोक करके किया जाता है, केवल इस बार आग को जितना संभव हो उतना गर्म करने पर ध्यान केंद्रित करें।


चरण ग्यारह - गुणा -

यह ऊर्जा को बढ़ाने के लिए किया जाता है और चरण तीन की तरह सारतत्व/तेजावह को इनवोक करके किया जाता है।


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