मूल संख्याओं के मूल अर्थ |
1 "सभी", दिव्य इकाई, अविभाजित, आदेश, अनंत में बिंदु, ब्रह्मांड, सृजन का स्रोत, प्राथमिक कारण |
2 द्वंद्व, अलगाव, कलह, संबंध, सृजन, विनाश, अपूर्ण, सकारात्मक-नकारात्मक, प्रथम श्रेणी, बिदाई |
3 आत्मा, दिव्यता, त्रिनेत्र बल, एक पूर्ण संख्या, पहला मिलन, दिव्य/पवित्र त्रिमूर्ति [ईआ, एन्लिल, आनु - पोसाईडन, ज़ीउस, हेडीस आदि], दुनिया की त्रिमूर्ति |
4 अनुशासन, न्याय, भौतिक की चार दिशाएँ, "सीमा", ईथर के बिना चार तत्व, भौतिक संसार का हिस्सा |
5 पाँच तत्व, मिलन, कनेक्शन, इरोस, आकार और स्वरूप, सुंदरता, वैभव, संतुलन, सद्भाव (सामंजस्य) |
6 भौतिक एवं आध्यात्मिक, संबंध, जीवन, स्थिरता, आदी होना, कर्म, विवाह, स्थूलब्रह्माण्डीय/सूक्ष्मब्रह्माण्डीय, पौरोहित्य (पुजारी), स्वच्छता |
7 कर्म, परिणाम, देवी नेमसिस, शुद्धिकरण, दिव्य पैमाना, न्याय का कवच, भाग्य, मन का जन्म, पौरोहित्य, कौमार्य |
8 रहस्य, ड्राइव, शक्ति, स्थायित्व, मज़बूत आधार, छिपा हुआ गोला, "दिव्य माँ", आकाशी न्याय, गुणा "अनंत काल तक" |
9 समाप्त, अंतिम बिंदु, छवि, पूर्णता, "अंत", समापन पर आना, जन्म/मृत्यु, शक्ति, कैपस्टोन (शिखर), शिखर, पूर्णता |
10 एक कुंजी, सब मिलाकर, भाग्य और कर्म, पथ का अंत, दोहरा मिलन, ब्रह्मांड - पैन, ब्रह्मांड, पूर्णता, स्वनिर्मित, "दिव्य पिता", समग्रता |
दार्शनिक | "शून्य" |
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Library of Congress Number: 12-16457